नाम:- त्रिशला काठेड पिता का नाम:- श्री शांतिलाल काठेड
अथक मेहनत के बाद जो कामयाबी हासिल होती है, उसी कहानी की असली किरदार हैं “त्रिशला”। दसवीं कक्षा जीवन की प्रथम सीढ़ी मानी जाती है, और साथ यह भी माना जाता है की जो इसमें अच्छे नंबर से पास हो गया मानो वह आगे के लिये बेहतर हो गया । त्रिशला ने सरकारी विद्यालय से पढ़ाई करने के बावजूद भी ब्लॉक में प्रथम स्थान प्राप्त किया यह एक बड़ी उपलब्धि है, कम सुविधा और सीमित संसाधनों के बीच कैसे मज़बूती से पढ़ाई की जाती है इसका जीता जागता उदाहरण हैं त्रिशला । त्रिशला ने बताया की वह 6 घंटे नियमित पढ़ाई किया करती थीं। और इसके अलावा घर के सभी कार्यों में मदद भी किया करती थीं। विद्यालय में किसी विषय के अध्यापक ना होने पर उसने उस विषय की पढ़ाई घर पर ही की। ऐसे होनहार विद्यार्थी को अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन की टीम सलाम करती है और आगे आने वाले समय में उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं।