Anurag Bala Parashar Foundation

Sonam Bagdotiya

नाम:- सोनम बड़गोतिया
पिता का नाम:- ललिता वर्मा

मेरा नाम सोनम बड़गोतिया है। मेरी माता का नाम ललिता वर्मा है तथा मेरे पिता का नाम गिरधारी बड़गोतिया है। मैं कक्षा 11 की छात्रा हूं। मैने सत्र 2022-23 में 10 वीं कक्षा 93.50% के साथ उत्तीर्ण की हैं। मेरे माता व पिता में अनबन के कारण मैं जन्म से ही मेरे ननिहाल गांव- संगरिया ज़िला – शाहपुरा में ही रहती हूं। मेरा जन्म एक सामान्य मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। मैने शिक्षा ग्रहण करने की शुरुआत हंसा विद्या निकेतन उच्च प्राथमिक विद्यालय से की तथा दूसरी कक्षा तक यहीं पढ़ाई की। फिर मैने तहसील फुलिया कलां के अंग्रेजी माध्यम विद्यालय सुंदर देवी सेंट्रल स्कूल से कक्षा दूसरी पुनः पढ़ी व कक्षा पांचवीं तक इसी विद्यालय में अध्ययन- कार्य किया। फिर कक्षा छठी से मैने राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय में प्रवेश लिया जो सन 2022-23 में उच्च माध्यमिक में रूपांरित हो गया। मै अपनी इस सफलता का श्रेय सर्वप्रथम मेरे विद्यालय के उन तमाम शिक्षकों को देना चाहती हूं, जिन्होंने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाने में सहायता की। फिर मैं परिवार के समस्त परिवारजनों को इसका श्रेय देना चाहूंगी जिन्होंने मुझे लड़की होने पर भी कभी पढ़ने से नहीं रोका। सबसे ज्यादा शुक्रगुजार मैं मेरे मामा श्रीमान किरण कुमार वर्मा जो अंग्रेजी के अध्यापक भी है व श्री मान गणेश लाल वैष्णव जो गणित पढ़ाते हैं,उनकी हूं। उन्होंने मुझे कदम – कदम पर मोटिवेट किया है। मेरी सफलता में मैं सबसे बड़ा हाथ उन्हीं का मानती हूं। जब से सत्र 2022-23 शुरू हुआ तब से मेरे मन में बोर्ड्स को लेकर कई सवाल थे, बहुत डर था, लेकिन मेरे शिक्षकों ने मुझे बताया कि कैसे डर से जीता सकता है। ये कोई एक दिन की बात नहीं है, ये सफर है पूरे साल भर का , सत्र शुरू होने से बोर्ड परीक्षाओं तक का। इसलिए इसमें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और सभी को करना भी पड़ता है। मैने भी इस साल भर के सफर में कई समस्याओं का सामना किया, कई नकारात्मक लोगो से भी आमना – सामना हुआ। परन्तु इस सफर में आने वाली सबसे बड़ी समस्या थी- टाइफायड। बोर्ड एग्जाम के टाइम मुझे टाइफायड जैसी गंभीर बीमारी का सामना करना पड़ा। फिर भी लग्न से पढ़ना मेरे लिए ज्यादा मुश्किल नहीं हुआ। मुझे मेरी सफलता से खुशी तो है परन्तु साथ – साथ दुःख भी है क्योंकि जितने प्रतिशतो की मुझे उम्मीद थी, उतने मैं नहीं बना पाई परन्तु विद्यालय में स्टाफ की कमी और मेरे स्व- अध्ययन को देखते हुए मैं संतुष्ट हूं। मेरी हमेशा से ही अध्ययन में रुचि रही है और हमेशा से ही मैने हर कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया हैं। मुझे दो बार मेरे विद्यालय से “सर्वश्रेष्ठ छात्रा” का सर्टिफिकेट तथा कई ट्रॉफियां भी मिली हुई है। कक्षा 11 में मैने कला संकाय उचित समझा और मै भविष्य में प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहती हूं।
अंत में मैं बस यही कहूंगी कि “यदि मनुष्य करना चाहे तो इस संसार में कुछ भी असंभव नहीं हैं।”

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