Anurag Bala Parashar Foundation

Testimonial

Congratulations on the Launch of The Anurag Bala Parashar Foundation.
This is a remarkable achievement and I am filled with admiration for dedication and vision of It’s Founder and Co founder in starting this meaningful organization in honor of our late mother.
Creating this foundation is tribute to our mother’s life and legacy. She would undoubtedly be incredibly proud of accomplishments and the impact this will have on so many lives through this foundation. Her compassion and generosity will act as a guiding light inspiring others to follow suit and make a difference in the society.

May this foundation serve as a vehicle for positive change inspiring hope and enriching the lives of countless individuals in ways that our mother would have cherished.
I am truly honored to witness this incredible milestone and cannot wait to see the significant impact this foundation will have on the on the society.

5/5

Shivangi sanadhya
Daughter of Anurag bala Parashar

5/5

विष्णु दत्त शर्मा
सेवा निवृत शिक्षा उप निदेशक समग्र शिक्षा ,राजस्थान

प्रिय श्री डॉ कमलेश पराशर/ भरत
मुझे यह जानकर अतीव प्रसन्नता है कि आप श्रीमती अनुराग बाला पाराशर की स्मृति में एक अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन बना रहे हैं l श्रीमती अनुराग बाला पाराशर एक सहृदय , मृदुभाषी ,सर्वप्रिय श्रेष्ठ शिक्षिका थी जो सदैव बालकों के हितचिंतन में लीन रही l श्रीमती पाराशर उच्चकोटि की साहित्यकार , कवियत्री एवम समाजसेविका रही जो सदैव शिक्षा जगत एवम् समाज की उन्नति के लिए तत्पर रहती थी l
मुझे विश्वास है की यह फ़ाउण्डेशन शिक्षा जगत और समाज की उन्नति के प्रति उनके विचारों और सपनों को साकार करेगा l
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ –

श्रीमती अनुरागबाला पाराशर, थर्मपत्नी डॉ. कमलेश पाराशर, निवासी गांधीपुरी , शाहपुरा, (भीलवाड़ा) की पुण्यस्मृति में शाहपुरा तहसील स्तर पर एक फाउन्डेशन की स्थापना का निर्णय स्वागत- योग्य है । श्रीमती अनुरागबाला घनीभूत संवेदनाओं की कवयित्री थीं । मानव – मात्र के प्रति प्रेम और अनुराग उनके रोम – रोम में बसा हुआ था ।
अपने नाम के अनुरूप उनका चिन्तन हृदय के उद्गारों के रूप में कितने निर्मल भाव के साथ निःसृत होता था , यह उनकी कविता की कुछ पंक्तियों से स्वतः ही सिद्ध हो जाता है :

सत्य -शपथ चित्त बस तुममय
यही प्रेम बस मेरा है ।
मेरा प्रेम , नेह सब तुम हो
तुम मेरा अनुराग हो !!

उनके सुकृतों के सौरभ का अधिकाधिक प्रसार हो तथा वंचित जन पूर्णरूपेण लाभान्वित हों, इस उद्देश्य की संपूर्ति फाउन्डेशन सफलतापूर्वक कर सके , यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी । मैं इस पुनीत कार्य हेतु अपनी हार्दिक शुभाशंसाएँ एवं आशीर्वाद प्रेषित करता हूँ । वे जहाँ भी हों , उन्हें
इस स्तुत्य अनुष्ठान से आत्मिक प्रसन्नता होगी !

5/5

रविकान्त सनाढ्य ,
साहित्यकार एवं सेवानिवृत्त , प्राचार्य , प्रतापसिंह बारहठ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय , शाहपुरा , ज़िला – शाहपुरा ( भीलवाड़ा )

5/5

Shri Satyendra Mandela
Retd. Principal

It is a great pleasure to know that anurag bala foundation has been established.congratulation; hope to succeed in the social,medical, education and other welfare fields.

शौनक परिवार को मां शारदे द्वारा दिए गए नायाब तोहफे के चरणों में शत शत नमन।। एक ऐसा हीरा जिसने अपनी चमक से सिर्फ और सिर्फ उजियारा फैलाया। अनगढ़ शब्दों को अपनी लेखनी में पिरोकर साकार रूप देने की अद्भुत क्षमता की धनी थीं मेरी बुआ स्वर्गीय श्रीमती अनुराग बाला पाराशर।
आज उनकी स्मृति को चिरंजीवी रखने के उद्देश्य से मेरे अनुज भरत सनाढ्य द्वारा ” श्रीमती अनुरागबाला पाराशर स्मृति फाउंडेशन ” की स्थापना की जा रही है जो एक बेटे द्वारा अपनी मां को सच्ची श्रद्धांजलि है। जिसने अपना जीवन शिक्षा को समर्पित किया उसकी याद में, शिक्षा की रोशनी से कोई विद्यार्थी अभाववश वंचित न रहे , के मूलभूत सिद्धांत के साथ इस पावन फाउंडेशन की स्थापना के लिए मैं भरत और पूरे परिवार को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
” शब्द पिरोना जितना सीखा सब तुझसे ही सीखा है ,
पाया प्यार तुझसे मैंने सदा मां सरीखा है।।

सादर वंदन।।

  •  
5/5

abhineet shaunak Alwar

5/5

मूलचन्द पेसवानी
महासचिव, प्रेस क्लब शाहपुरा वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब भीलवाड़ा प्रदेश सचिव, जर्नलिस्ट्स एसोसियेशन आफ राजस्थान

  • ख्यातनाम कवियित्री, लेखिका व साहित्यकार अनुराग बाला पाराशर का जन्म भले उत्त्रप्रदेश के कासगंज में हुआ परंतु विवाहोपंरात राजस्थान के शाहपुरा को उन्होंने कर्मस्थली बनाया। वो शाहपुरा में आने के बाद यहीं रच बस गयी थी। काल के क्रुर हाथों ने वर्ष 2022 में नेपाल यात्रा के दौरान पाराशर परिवार को वेदना देकर अनुराग बाला पाराशर को हम सभी से छीन लिया।
    अनुराग बाला पाराशर पाराशर से मेरा क्या रिश्ता रहा। उनका आर्शिवाद कितना मुझे मिला। डा कमलेश पाराशर-अनुराग बाला पाराशर के सानिध्य में उनकी वाणी, अपनेपन, ममत्वभाव पर लिखना प्रांरभ करूंगा तो शायद लंबा हो जायेगा परंतु इतना तो कह सकता हूं कि मेरे दिलोे दिमाग से अनुराग बाला पाराशर व उनके परिवार को निकलना असंभव है। तीज त्यौंहार, सामाजिक कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति ही गौरवमयी रहती रही। अनुराग बाला पाराशर के साथ अंतिम बार का मिलना, अंतिम बार में कही बात जीवन भर मेरे लिए प्रेरणा का कार्य करेगी।
    अनुराग बाला पाराशर का शाहपुरा में राजकीय सेवा के साथ साथ साहित्य के क्षेत्र में किया गया कार्य सदैव स्तुतीय रहेगा। उनके द्वारा प्रकाशित रचनाओं के संग्रह जीवन भर न केवल प्रेरणा देगें वरन सामाजिक स्तर पर भी मील का पत्थर साबित होगें।
  • Words cannot adequately express the admiration I have for your decision to open an NGO in our mother’s name. It is an absolutely remarkable tribute to her memory and a testament to the profound impact she has left on our life and the lives of many others.
    By establishing an organization in our mother’s name, you are not only honoring her memory but also ensuring that her spirit of kindness, compassion, and generosity lives on. How fitting it is to carry forward her values and passions by uplifting underprivileged communities, providing them with education, healthcare, and vital resources. I believe our mother’s legacy will continue to touch the lives of so many, offering them hope, dignity, and opportunities they may not have otherwise had.
5/5

Pragya sharma
Daughter of Anurag bala Parashar

5/5

abhineet shaunak Alwar

  • मेरी बहन अनुराग बाला पाराशर जो मेरी बहन ही नहीं मेरी दोस्त भी थी जिसने अपने जीवन काल में बहुत ही नेक काम करके सबका नाम रोशन किया और अब जिसको आगे बढ़ाते हुए मेरे बहनोई द्वारा अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन के शुरू करने पर बहुत बहुत शुभकामनाएं देती हूँ,और उनके मंगलमय जीवन के लिए सदैव कामना करती हूँ।
    नीरज गौड़ एवं पुत्री स्वप्निल गौड़
  • यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि स्वर्गीया श्रीमती अनुरागबाला पाराशर की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए ‘शिक्षित बनो और स्वयं को सशक्त बनाओ’ के उद्देश्य से ”अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन ”की स्थापना की जा रही है।
    स्व0 अनुरागबाला जी 2 वर्षों तक भारत विकास परिषद शाखा शाहपुरा (भीलवाड़ा) की अध्यक्षा रही ।इनके नेतृत्व में परिषद रोगी सेवा, जलसेवा, महिला जागरूकता , बेटी -बचाओ, बेटी -पढ़ाओ, बेटी- बढ़ाओ सहित सभी प्रकल्पों में शाखा को नई ऊंचाइयां प्रदान की है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी ऐसी प्रतिभा का अल्पायु में ही इश- शरण में चला जाना अत्यंत दु:खद है ।यह फाउंडेशन उनके द्वारा लिए गए सपनों को पूर्ण करने में निरंतर प्रयत्न रहेगा , ऐसा विश्वास है।
5/5

जय देव जोशी
पूर्व अध्यक्ष भारत विकास परिषद शाखा शाहपुरा एवं सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी

5/5

पुनीत मंडेला
बहन, अनुराग बाला पाराशर

  • बड़े हर्ष की बात है कि अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन की शुरुआत ऐसी प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं के लिए हुई है, जिन्होंने बहुत ही कम सुख सुविधाओं के होते हुए भी अपना और अपने परिवार का नाम तहसील स्तर पर सर्वोच्च रखा है।
    जिस व्यक्तित्व की स्मृति में इस फाउंडेशन की शुरुआत हुई है वह स्वयं ‘अनुराग बाला पाराशर’ बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं ।सरल ,सौम्य और तेजस्वी व्यक्तित्व के लिए थोड़े शब्दों में कुछ कहना मुश्किल है। अनुराग बाला पाराशर की स्मृति में शुरू किए गए ‘अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन’ के सभी सदस्यों को मैं तहे दिल से धन्यवाद कहना चाहूंगी। इस पहल की शुरुआत उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। फाउंडेशन के सभी सदस्यों को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि’ अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन’ का यह वृक्ष एक दिन वटवृक्ष बनकर विस्तारित हो।
  • गृहस्थ एक बहुत बड़ा तपोवन हैं ओर जीवरता, आत्मविश्वास, धैर्य एवं सहनशक्ति से इस गृहस्थी को आसान बनाया जाता हैं अतिप्रिय माता श्रीमती अनुराग बाला जी पाराशर (धर्मपत्नी डॉ. कमलेश जी पाराशर) का इस दुनिया से अचानक बिछुड़ जाना हृदय विदारक है लेकिन आज उनकी स्मृति में उनके परिवार जनों के द्वारा अनुराग बाला फाउण्डेशन को गति प्रदान करने जा रहें। जिस तरीके से श्रीमती अनुराग बाला जी का बाह्रा व्यक्तित्व जितना चित्तकर्षक था, उससे भी अधिक आपका अभ्यातंर व्यक्तित्व मनमोहक व शान्तिदायक था। उत्कृष्ट त्याग-भाव, निरभिमान, विशुद्ध आचार, परिकृष्त सरल स्वभाग, निष्कपट व्यवहार, मधुर प्रभावशाली वाणी, आत्मसाधना और संयम आराधना, जागरुकता, अदुभूत गंभीरता, अपूर्व सहनशीलता, अनुपम क्षमा, निर्लोभता, विनम्रता आदि सद्गुण आपके जीवन के अंलकार कहे जा सकते हैं। आज श्री अनुराग बाला जी की स्मृति मे फाण्डेशन द्वारा मोक्ष धाम पर 17×18.50 फीट का बरामदे का निमार्ण कार्य पूर्ण,गरीब बच्चों के हितार्थ शिक्षण सामग्री, पेयजल, शाहपुरा तहसील में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले बालक/ बालिकाओं को पारितोषिक स्वरुप प्रोत्साहित करना । एवं आगे पढ़ने वाले गरीब बच्चों की सहायता आदि कार्य इस फाउण्डेशन द्वारा किये जायेंगे।
5/5

धर्मवीर चौधरी
(पार्श्वनाथ प्रिन्टर्स एण्ड स्टेशनर्स ) ‘“डोहरिया वाले” शाहपुरा

5/5

तेजपाल उपाध्याय
पूर्व उपनिदेशक, माध्यमिक शिक ज्योति नगर, आखीर रोड, शहद

  • संवेदनाओं के बिना लेखन असंभव है। संवेदनाएँ भी जब गहराई तक पहुँच जाती है तो लेखक की हर एक रचना पाठक को अपनी ही लगती है। अनुराग वाला जी करी संवदेनाएं, रिश्ते नाते, समाज, प्रकृति, व्यक्तित्व व संबंधो की प्रगाढता जैसे विषयों की अनंत गहराइयों तक पहुँची है। तभी ‘चहकन एक मौ नीस’ (2013) रामरतन यन (2018) सामसोपन (204) जैसे सारगर्भित काव्य संग्रहों का उत्कृष्ट साहित्य का साहित्य जगत् में उद्‌भव हुआ। रचना गए में हो या पद्म में, दोनों ही विधाओं में लेखा में महारत हासिल थी, इस महित्यकारा को इसीलिए इस कवियत्री और लेखिका अनुराग वाला पाराहार की राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर पह‌चान मिली और सम्मान भी। अभी उनका लेखन अधिशेष था, इस साहित्य पटल पर उनकी अपेक्षा निखित श्रंझाड में ललित देदो से उन्मुक्त अभिनीत द्वंद स्वजिल संसार से नि कर सोपानों के शिखर तक पहुँचाने की थी। ईश्वर ने शेप लेखन कार्य पूरा करने के लिए अपने यहां लिया उनको । तुला उनकी साहित्यिक संपदा को संजोते व जन जन तक पहुँचाने हेतु वेबसाइट बना रही है, इस हेतु मैं अपने हृदय की गहराई से उनके पुत्र बभात व जीक यात्रा के लङ्गाली डाँठ कमलो जीवयामा बधाई देता हूँ। इस कार्य से उस कवियत्री व लेखिका की इच्छा भी पूरी हो पायेगी जो अभी की पंक्तियों से होती है- प्रकट आहा कल्पना, मेरा सपना, इच्छा मेरी ही। मरकर भी मैं अमर रहूँ, पृष्ठमसिरी तु‌लियों में मेरा सपना वा इतना घट, घर, साहित्यिक विधिका में अचाह शुभकामनाओं सहिला
5/5

डॉ. कमलाकान्त शर्मा

  • अपने मानवोचित गुण कर्मों से अपने नाम को सार्थक करने वाली दिवंगता श्री मती अनुराग बाला पाराशर की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाने के निमित्त गठित् – “अनुराग बाला पाराशर फाउण्डेशन हेवु मै अपनी हार्दिक शुभ कामनाऐं प्रेषित करता हूँ ! यह फाउण्डेशन अनुराग बालाजी की सामाजिकता, व्यावहारिकता और कायेन वाचा धिया की सूचिता को स्पर्श करेगा- ऐसा मुझे भरोसा है ! मंगल फाउण्डेशन की सफलता हेतु मेरी मुझे कामनाऐं

Congratulations on the Launch of The Anurag Bala Parashar Foundation.
This is a remarkable achievement and I am filled with admiration for dedication and vision of It's Founder and Co founder in starting this meaningful organization in honor of our late mother.
Creating this foundation is tribute to our mother's life and legacy. She would undoubtedly be incredibly proud of accomplishments and the impact this will have on so many lives through this foundation. Her compassion and generosity will act as a guiding light inspiring others to follow suit and make a difference in the society.

May this foundation serve as a vehicle for positive change inspiring hope and enriching the lives of countless individuals in ways that our mother would have cherished.
I am truly honored to witness this incredible milestone and cannot wait to see the significant impact this foundation will have on the on the society.

Shivangi Sanadhya

Daughter of Anurag Bala Parashar

प्रिय श्री डॉ कमलेश पराशर/ भरत
मुझे यह जानकर अतीव प्रसन्नता है कि आप श्रीमती अनुराग बाला पाराशर की स्मृति में एक अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन बना रहे हैं l श्रीमती अनुराग बाला पाराशर एक सहृदय , मृदुभाषी ,सर्वप्रिय श्रेष्ठ शिक्षिका थी जो सदैव बालकों के हितचिंतन में लीन रही l श्रीमती पाराशर उच्चकोटि की साहित्यकार , कवियत्री एवम समाजसेविका रही जो सदैव शिक्षा जगत एवम् समाज की उन्नति के लिए तत्पर रहती थी l
मुझे विश्वास है की यह फ़ाउण्डेशन शिक्षा जगत और समाज की उन्नति के प्रति उनके विचारों और सपनों को साकार करेगा l
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ -

विष्णु दत्त शर्मा

सेवा निवृत शिक्षा उप निदेशक समग्र शिक्षा ,राजस्थान

हार्दिक शुभकामनाएँ !

श्रीमती अनुरागबाला पाराशर, थर्मपत्नी डॉ. कमलेश पाराशर, निवासी गांधीपुरी , शाहपुरा, (भीलवाड़ा) की पुण्यस्मृति में शाहपुरा तहसील स्तर पर एक फाउन्डेशन की स्थापना का निर्णय स्वागत- योग्य है । श्रीमती अनुरागबाला घनीभूत संवेदनाओं की कवयित्री थीं । मानव - मात्र के प्रति प्रेम और अनुराग उनके रोम - रोम में बसा हुआ था ।
अपने नाम के अनुरूप उनका चिन्तन हृदय के उद्गारों के रूप में कितने निर्मल भाव के साथ निःसृत होता था , यह उनकी कविता की कुछ पंक्तियों से स्वतः ही सिद्ध हो जाता है :

सत्य -शपथ चित्त बस तुममय
यही प्रेम बस मेरा है ।
मेरा प्रेम , नेह सब तुम हो
तुम मेरा अनुराग हो !!

उनके सुकृतों के सौरभ का अधिकाधिक प्रसार हो तथा वंचित जन पूर्णरूपेण लाभान्वित हों, इस उद्देश्य की संपूर्ति फाउन्डेशन सफलतापूर्वक कर सके , यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी । मैं इस पुनीत कार्य हेतु अपनी हार्दिक शुभाशंसाएँ एवं आशीर्वाद प्रेषित करता हूँ । वे जहाँ भी हों , उन्हें
इस स्तुत्य अनुष्ठान से आत्मिक प्रसन्नता होगी !

रविकान्त सनाढ्य ,

साहित्यकार एवं सेवानिवृत्त , प्राचार्य , प्रतापसिंह बारहठ राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय , शाहपुरा , ज़िला - शाहपुरा ( भीलवाड़ा )

It is a great pleasure to know that anurag bala foundation has been established.congratulation; hope to succeed in the social,medical, education and other welfare fields.

Shri Satyendra Mandela
Retd. Principal

शौनक परिवार को मां शारदे द्वारा दिए गए नायाब तोहफे के चरणों में शत शत नमन।। एक ऐसा हीरा जिसने अपनी चमक से सिर्फ और सिर्फ उजियारा फैलाया। अनगढ़ शब्दों को अपनी लेखनी में पिरोकर साकार रूप देने की अद्भुत क्षमता की धनी थीं मेरी बुआ स्वर्गीय श्रीमती अनुराग बाला पाराशर।
आज उनकी स्मृति को चिरंजीवी रखने के उद्देश्य से मेरे अनुज भरत सनाढ्य द्वारा " श्रीमती अनुरागबाला पाराशर स्मृति फाउंडेशन " की स्थापना की जा रही है जो एक बेटे द्वारा अपनी मां को सच्ची श्रद्धांजलि है। जिसने अपना जीवन शिक्षा को समर्पित किया उसकी याद में, शिक्षा की रोशनी से कोई विद्यार्थी अभाववश वंचित न रहे , के मूलभूत सिद्धांत के साथ इस पावन फाउंडेशन की स्थापना के लिए मैं भरत और पूरे परिवार को अपनी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं।
" शब्द पिरोना जितना सीखा सब तुझसे ही सीखा है ,
पाया प्यार तुझसे मैंने सदा मां सरीखा है।।

सादर वंदन।।

Abhineet Shaunak
Alwar

ख्यातनाम कवियित्री, लेखिका व साहित्यकार अनुराग बाला पाराशर का जन्म भले उत्त्रप्रदेश के कासगंज में हुआ परंतु विवाहोपंरात राजस्थान के शाहपुरा को उन्होंने कर्मस्थली बनाया। वो शाहपुरा में आने के बाद यहीं रच बस गयी थी। काल के क्रुर हाथों ने वर्ष 2022 में नेपाल यात्रा के दौरान पाराशर परिवार को वेदना देकर अनुराग बाला पाराशर को हम सभी से छीन लिया।
अनुराग बाला पाराशर पाराशर से मेरा क्या रिश्ता रहा। उनका आर्शिवाद कितना मुझे मिला। डा कमलेश पाराशर-अनुराग बाला पाराशर के सानिध्य में उनकी वाणी, अपनेपन, ममत्वभाव पर लिखना प्रांरभ करूंगा तो शायद लंबा हो जायेगा परंतु इतना तो कह सकता हूं कि मेरे दिलोे दिमाग से अनुराग बाला पाराशर व उनके परिवार को निकलना असंभव है। तीज त्यौंहार, सामाजिक कार्यक्रम में उनकी उपस्थिति ही गौरवमयी रहती रही। अनुराग बाला पाराशर के साथ अंतिम बार का मिलना, अंतिम बार में कही बात जीवन भर मेरे लिए प्रेरणा का कार्य करेगी।
अनुराग बाला पाराशर का शाहपुरा में राजकीय सेवा के साथ साथ साहित्य के क्षेत्र में किया गया कार्य सदैव स्तुतीय रहेगा। उनके द्वारा प्रकाशित रचनाओं के संग्रह जीवन भर न केवल प्रेरणा देगें वरन सामाजिक स्तर पर भी मील का पत्थर साबित होगें।

मूलचन्द पेसवानी

महासचिव, प्रेस क्लब शाहपुरा वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब भीलवाड़ा प्रदेश सचिव, जर्नलिस्ट्स एसोसियेशन आफ राजस्थान

Words cannot adequately express the admiration I have for your decision to open an NGO in our mother's name. It is an absolutely remarkable tribute to her memory and a testament to the profound impact she has left on our life and the lives of many others.
By establishing an organization in our mother's name, you are not only honoring her memory but also ensuring that her spirit of kindness, compassion, and generosity lives on. How fitting it is to carry forward her values and passions by uplifting underprivileged communities, providing them with education, healthcare, and vital resources. I believe our mother's legacy will continue to touch the lives of so many, offering them hope, dignity, and opportunities they may not have otherwise had.

Pragya Sharma

Daughter of Anurag bala Parashar

मेरी बहन अनुराग बाला पाराशर जो मेरी बहन ही नहीं मेरी दोस्त भी थी जिसने अपने जीवन काल में बहुत ही नेक काम करके सबका नाम रोशन किया और अब जिसको आगे बढ़ाते हुए मेरे बहनोई द्वारा अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन के शुरू करने पर बहुत बहुत शुभकामनाएं देती हूँ,और उनके मंगलमय जीवन के लिए सदैव कामना करती हूँ।

नीरज गौड़
पुत्री स्वप्निल गौड़

यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि स्वर्गीया श्रीमती अनुरागबाला पाराशर की स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए 'शिक्षित बनो और स्वयं को सशक्त बनाओ' के उद्देश्य से ''अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन ''की स्थापना की जा रही है।
स्व0 अनुरागबाला जी 2 वर्षों तक भारत विकास परिषद शाखा शाहपुरा (भीलवाड़ा) की अध्यक्षा रही ।इनके नेतृत्व में परिषद रोगी सेवा, जलसेवा, महिला जागरूकता , बेटी -बचाओ, बेटी -पढ़ाओ, बेटी- बढ़ाओ सहित सभी प्रकल्पों में शाखा को नई ऊंचाइयां प्रदान की है। बहुमुखी प्रतिभा की धनी ऐसी प्रतिभा का अल्पायु में ही इश- शरण में चला जाना अत्यंत दु:खद है ।यह फाउंडेशन उनके द्वारा लिए गए सपनों को पूर्ण करने में निरंतर प्रयत्न रहेगा , ऐसा विश्वास है।

जय देव जोशी

पूर्व अध्यक्ष भारत विकास परिषद शाखा शाहपुरा एवं सेवानिवृत्त जिला शिक्षा अधिकारी

बड़े हर्ष की बात है कि अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन की शुरुआत ऐसी प्रतिभाशाली छात्र-छात्राओं के लिए हुई है, जिन्होंने बहुत ही कम सुख सुविधाओं के होते हुए भी अपना और अपने परिवार का नाम तहसील स्तर पर सर्वोच्च रखा है।
जिस व्यक्तित्व की स्मृति में इस फाउंडेशन की शुरुआत हुई है वह स्वयं 'अनुराग बाला पाराशर' बहुमुखी प्रतिभा की धनी थीं ।सरल ,सौम्य और तेजस्वी व्यक्तित्व के लिए थोड़े शब्दों में कुछ कहना मुश्किल है। अनुराग बाला पाराशर की स्मृति में शुरू किए गए 'अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन' के सभी सदस्यों को मैं तहे दिल से धन्यवाद कहना चाहूंगी। इस पहल की शुरुआत उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। फाउंडेशन के सभी सदस्यों को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। ईश्वर से प्रार्थना है कि' अनुराग बाला पाराशर फाउंडेशन' का यह वृक्ष एक दिन वटवृक्ष बनकर विस्तारित हो।

पुनीत मंडेला
बहन, अनुराग बाला पाराशर

गृहस्थ एक बहुत बड़ा तपोवन हैं ओर जीवरता, आत्मविश्वास, धैर्य एवं सहनशक्ति से इस गृहस्थी को आसान बनाया जाता हैं अतिप्रिय माता श्रीमती अनुराग बाला जी पाराशर (धर्मपत्नी डॉ. कमलेश जी पाराशर) का इस दुनिया से अचानक बिछुड़ जाना हृदय विदारक है लेकिन आज उनकी स्मृति में उनके परिवार जनों के द्वारा अनुराग बाला फाउण्डेशन को गति प्रदान करने जा रहें। जिस तरीके से श्रीमती अनुराग बाला जी का बाह्रा व्यक्तित्व जितना चित्तकर्षक था, उससे भी अधिक आपका अभ्यातंर व्यक्तित्व मनमोहक व शान्तिदायक था। उत्कृष्ट त्याग-भाव, निरभिमान, विशुद्ध आचार, परिकृष्त सरल स्वभाग, निष्कपट व्यवहार, मधुर प्रभावशाली वाणी, आत्मसाधना और संयम आराधना, जागरुकता, अदुभूत गंभीरता, अपूर्व सहनशीलता, अनुपम क्षमा, निर्लोभता, विनम्रता आदि सद्गुण आपके जीवन के अंलकार कहे जा सकते हैं। आज श्री अनुराग बाला जी की स्मृति मे फाण्डेशन द्वारा मोक्ष धाम पर 17x18.50 फीट का बरामदे का निमार्ण कार्य पूर्ण,गरीब बच्चों के हितार्थ शिक्षण सामग्री, पेयजल, शाहपुरा तहसील में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले बालक/ बालिकाओं को पारितोषिक स्वरुप प्रोत्साहित करना । एवं आगे पढ़ने वाले गरीब बच्चों की सहायता आदि कार्य इस फाउण्डेशन द्वारा किये जायेंगे।

धर्मवीर चौधरी

(पार्श्वनाथ प्रिन्टर्स एण्ड स्टेशनर्स ) ‘“डोहरिया वाले” शाहपुरा

संवेदनाओं के बिना लेखन असंभव है। संवेदनाएँ भी जब गहराई तक पहुँच जाती है तो लेखक की हर एक रचना पाठक को अपनी ही लगती है। अनुराग बाला पाराशर जी की संवदेनाएं, रिश्ते नाते, समाज, प्रकृति, व्यक्तित्व व संबंधो की प्रगाढता जैसे विषयों की अनंत गहराइयों तक पहुँची है। तभी 'धड़कन एक सौ बीस' (2013) रामरतन धन (2018) साठसोपान (2022) जैसे सारगर्भित काव्य संग्रहों का उत्कृष्ट साहित्य का साहित्य जगत में उद्‌भव हुआ। रचना गद्य में हो या पद्य में, दोनों ही विधाओं में अनुराग बाला पाराशर जी को महारत हासिल थी, इस साहित्यकारा को इसीलिए राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर पह‌चान मिली और सम्मान भी। अभी उनका लेखन अधिशेष था, इस साहित्य पटल पर उनकी अपेक्षा अभिनीत द्वंद स्वजिल संसार से निखर सोपानों के शिखर तक पहुँचाने की थी। ईश्वर ने शेष लेखन कार्य पूरा करने के लिए उन्हें अपने यहां बुला लिया ।
उनकी साहित्यिक संपदा को संजोते व जन जन तक पहुँचाने हेतु एक फाउंडेशन बनाया जा रहा है, इस हेतु मैं अपने हृदय की गहराई से उनके पुत्र भरत व जीवन यात्रा के उनके साथी डाँ. कमलेश कुमार पाराशर जी को बधाई देता हूँ।
इस कार्य से कवियत्री व लेखिका की इच्छा भी पूरी हो पायेगी जो अभी की पंक्तियों से प्रकट होती है-
प्रकट आहा कल्पना, मेरा सपना, इच्छा मेरी ही। मरकर भी मैं अमर रहूँ

तेजपाल उपाध्याय

पूर्व उपनिदेशक, माध्यमिक शिक ज्योति नगर, आसिन्द रोड, शाहपुरा

अपने मानवोचित गुण कर्मों से अपने नाम को सार्थक करने वाली दिवंगता श्री मती अनुराग बाला पाराशर की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाने के निमित्त गठित् - “अनुराग बाला पाराशर फाउण्डेशन हेवु मै अपनी हार्दिक शुभ कामनाऐं प्रेषित करता हूँ ! यह फाउण्डेशन अनुराग बालाजी की सामाजिकता, व्यावहारिकता और कायेन वाचा धिया की सूचिता को स्पर्श करेगा- ऐसा मुझे भरोसा है ! मंगल फाउण्डेशन की सफलता हेतु मेरी मुझे कामनाऐं

डॉ. कमलाकान्त शर्मा

मैंने अपनी माँ के रूप में अपनी सासू माँ को पाया। और मैंने उनसे इतने कम समय में इतनी अच्छी अच्छी बातों को सीखा जो मेरे जीवन पर्यन्त काम आयेंगी। उनका शिक्षा के बारे में अलग ही नजरिया था। उनकी सेवा निवृति पर जो दृश्य मैंने देखा वो मैं कभी नहीं भूल सकती। मानो जैसे किसी मंत्री का काफिला हो, एक अध्यापक के लिए ऐसी इज़्ज़त और सम्मान मैंने कही नहीं देखा। उनका असमय जाना मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था। न जाने कितनी बातें थी जो सीखना बाकि रह गया।
मेरी सासू माँ एक माँ ,एक पत्नी ,एक नानी , एक बहन ,एक बुआ , एक बेटी ,एक अध्यापिका, एक समाजसेवी , एक कुशल ग्रहणी , के रूप में सर्वश्रेष्ठ उदाहरण थी।
मैं तन मन धन से इस अनुराग बाला पाराशर फॉउण्डेशन के साथ कड़ी हूँ।
इसकी कल्पना में मेरा भी छोटा सा हिस्सा है, मैं इसकी सफलता के लिए पूर्ण निष्ठा से काम करुँगी।

अपेक्षा भरत सनाढ्य

पुत्रवधु श्री मति अनुराग बाला पाराशर
पार्षद , नगरपालिका शाहपुरा

प्रखर मेधावी, श्रेष्ठ कवयित्री, परम विदुषी, नारी संचेतना की प्रतिमूर्ति, कुशल वक्ता, जागरुक शिक्षिका, आदर्श गृहिणी और सामर्थ्यवान लेखिका श्रीमती अनुराग बाला पाराशर जी की स्मृति को चिरस्थायित्व बनाने के लिए स्थापित "श्रीमती अनुराग बाला फाउण्डेशन" निश्चित रूप से एक सकारात्मक पहल है। अल्प जीवनकाल में सामाजिक और पारिवारिक सरोकारों को जीते हुए उन्होंने श्रेष्ठता के जो प्रतिमान स्थापित किये हैं वे सभी के लिए अनुकरणीय हैं। स्त्री जाति के प्रति समाज के संकुचित दृष्टिकोण पर उन्होंने अपनी पुस्तक 'धड़कन120' में कन्या भ्रूण हत्या जैसे कुकृत्यों पर मानवीय संवेदनाओं को झकझोरा है। महाकवि तुलसीदास जी की पत्नी रत्नावती को केंद्र में रखकर लिखा गया उनका काव्य ग्रंथ 'प्रेमरतन धन पायो' अपने आप में एक अनूठी और मौलिक कृति है। निरंतर सृजनशील रहीं स्व.पाराशर यदि इस भौतिक संसार में कुछ वर्षों तक और रहतीं तो निश्चित रूप से वे साहित्य को और अधिक अनुपम देतीं। असमय में उनका देवलोक गमन परिवार और समाज की अपूरणीय क्षति है किंतु जितना उन्होंने किया वह भी कम नहीं है। श्रीमती पाराशर ने अपने नाम के अनुरूप परिवार और समाज में अनुराग के ऐसे प्रतिमान स्थापित किये हैं जिन्हें विस्मृत करना असम्भव है। ऐसी महनीय शख्सियत के कृतित्व और व्यक्तित्व पर विमर्श जरूरी है। उनके नाम पर स्थापित फाउंडेशन की गतिविधियां स्त्री जाति के उत्थान में सहायक सिद्ध होंगी और श्रीमती अनुराग बाला जी की स्मृतियों को नवीन आयाम भी देंगी। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

कैलाश मण्डेला

अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कवि एवं केन्द्रीय साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार शाहपुरा-राजस्थान

अपने मानवोचित गुण कर्मों से अपने नाम को सार्थक करने वाली दिवंगता श्री मती अनुराग बाला पाराशर की स्मृतियों को अक्षुण्ण बनाने के निमित्त गठित् - “अनुराग बाला पाराशर फाउण्डेशन हेवु मै अपनी हार्दिक शुभ कामनाऐं प्रेषित करता हूँ ! यह फाउण्डेशन अनुराग बालाजी की सामाजिकता, व्यावहारिकता और कायेन वाचा धिया की सूचिता को स्पर्श करेगा- ऐसा मुझे भरोसा है ! मंगल फाउण्डेशन की सफलता हेतु मेरी मुझे कामनाऐं

देवेन्द्र सिंह बूलियाँ

संस्थापक सचिव वरिष्ठ नागरिक संस्थापक शाहपुरा

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